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Ramayan Ki Sanskritik Virasat

Binding:Hardback
Released:2023

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About the Book

जो नाम तथा जाति आदि विकल्पों से रहित, कार्य-कारण से परे, सर्वोत्कृष्ट, वेदान्त शास्त्र के द्वारा जानने योग्य एवं अपने ही प्रकाश से प्रकाशित होने वाला परमात्मा है, उसका समस्त वेदों और पुराणों के द्वारा साक्षात्कार होता है,वही राम हैं | राम किसी जाति-धर्म या क्षेत्र विशेष के नहीं हैं, क्योंकि ब्रह्म या परमसत्ता जाति, धर्म, रूप, रंग, गंध या स्पर्श से परे होता है | आदिकवि महर्षि वाल्मीकि प्रणीत ‘रामायण’ के बाद हिंदी प्रदेश में सर्वाधिक प्रसिद्द और लोकचेतना में व्याप्त कोई ग्रन्थ है तो वह तुलसीदास का ‘रामचरितमानस’ है |इन दो विश्व विख्यात महाग्रन्थ के अतिरिक्त, बल्कि भारत वर्ष की अनेक प्रांतीय और क्षेत्रीय भाषाओं में भी राम के चरित्र को आधार बनाकर सैकड़ों ग्रंथों-काव्यकृतियों की रचना प्राचीनकाल से लेकर आधुनिककाल तक होती रही है और अनेक विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी होते रहे हैं | ये ग्रन्थ भारतीय और विदेशी जनमानस में विराजमान राम के चरित्र की व्यापकता के प्रमाणिक स्त्रोत हैं | कोई इन्हें दशरथ नंदन के रूप में देखता है तो कोई अखिल विश्व का नायक मानता है | प्रस्तुत पुस्तक ‘रामायण की सांस्कृतिक विरासत’ राम की सार्वभौम व्यापकता को तो उद्घाटित करती ही है,लेकिन देश-काल की दृष्टि से कुछ अंतर्विरोधों की ओर भी संकेत करती है | एक कालजयी महाकाव्य और उसपर आधारित अन्य महाकाव्यों एवं लोकमान्यताओं को आधार बनाकर लिखे गए लेखों ने इस पुस्तक को समृद्ध किया है | राम की समन्वयवादी लोकचेतना को यह पुस्तक सामान्य जनमानस तक अभिसिंचित करेगी और भारतीय संस्कृति के बीच अपने पुरातन मूल्यों को पुनः स्थापित करेगी | क्षरित होते जीवन मूल्यों के दौर में निश्चिततौर पर यह पुस्तक भविष्य के लिए आधारशीला रखने का काम करेगी |

Product Details

ISBN: 9789392240737
Publisher:
Publisher Date: 2023
Binding: Hardback
Language: hindi
No. of Pages: 191
Weight: 500
Width: 15.2
Height: 2.3

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